नयी दस्तकों में है नयी छटपटाहट
सुन रहा है मन फिर से नई आहट
खिल रही है उमंगे तर्रन्नुम शुरू
हो रही है फिर से जीने की चाहत
अब हवाओं से कहे मन सुन ज़रा
तू ही मेरी बन ज़ुबा पढ़ के चाहत
बोले जो भी आँख बोले दिल की बात
बे-ज़ुबान सारे रहे अलफाज-ए-चाहत
एक-सी दिल में तड़प हमारे- तुम्हारे
एक-सी चाहत लबों पे,एक-सी ही मुस्कुराहट
अब ना ठहरो तुम कहीं और मिटा दो दूरियाँ
अब चले आओ कसम, मिले दिल को राहत