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Friday, May 1, 2009



कौन है भीतर
कभी कोई तो कभी कोई चेहरा
लगता है अपना-अपना सा
लेकिन बदले बदले रंगों के संग
जब जब देखता हूँ
रंगों में अपने अंतर की खूबसूरती
बिखर जाता है चारों तरफ़
बस अपनापन ही अपनापन
यही तो ईश्वर का रूप है
सच मुच हमारे अंतर में बसा....