Tuesday, October 1, 2013

नयी दस्तकों में है नयी छटपटाहट सुन रहा है मन फिर से नई आहट खिल रही है उमंगे तर्रन्नुम शुरू हो रही है फिर से जीने की चाहत अब हवाओं से कहे मन सुन ज़रा तू ही मेरी बन ज़ुबा पढ़ के चाहत बोले जो भी आँख बोले दिल की बात बे-ज़ुबान सारे रहे अलफाज-ए-चाहत एक-सी दिल में तड़प हमारे- तुम्हारे एक-सी चाहत लबों पे,एक-सी ही मुस्कुराहट अब ना ठहरो तुम कहीं और मिटा दो दूरियाँ अब चले आओ कसम, मिले दिल को राहत